सर्वपितृ मुक्ति एवं मानव कल्याण संस्था(रजि)मुकेरियां – संस्था द्वारा किए जा रहे कार्य
सर्वपितृ मुक्ति एवं मानव कल्याण संस्था (रजि ) मुकेरियां
संस्था द्वारा किए जा रहे कार्य —
*1991-92 से लावारिस मृतक प्राणियों की मोक्ष प्राप्ति हेतु अस्थि विसर्जन, पिंडदान, तर्पण आदि करना
*अंतिम संस्कार करने के लिए बेसहारा व निर्धन परिवारों की सहायता करना
*निर्धन, बेसहारा मरीजों को व दुर्घटनाग्रस्त स्थिति में एम्बुलैंस आदि सहायता प्रदान करना
*शव को एक स्थान से गन्तव्य तक पहुंचाने के लिए शव वाहन सहायता प्रदान करना
*सरकारी ऐलीमैंटरी स्कूल व दिव्यांग बच्चों को स्कूल आने जाने की निःशुल्क व्यवस्था करना
*श्मशान घाटों का सौदर्यकरण करना
*रेलवे स्टेशन मुकेरियां पर निःशुल्क शुद्ध ( आर ओ ) पेयजल सेवा 12 महीने मौसम अनुसार मार्च 2019 से
मौत के बाद शव को ले जाने के लिए परेशानी नहीं झेलनी होगी। बस एक नंबर डायल करने पर शीघ्र वातानुकूलित शव वाहन आपके पास पहुंचेगा। जिले भर में कहीं भी शव ले जाने के लिए इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। पोस्टमार्टम हाउस से भी शव को ले जाने के लिए यह वाहन मिलेगा।
मुकेरियाँ रेलवे स्टेशन पर यात्रियों को निशुल्क RO पानी :- यात्रियों को 12 महीने मुफ्त मिलेगा शुद्ध RO पानी, जल सेवा से बड़ी कोई सेवा नही है, तपती गर्मी में प्यासे व्यक्ति को पानी पिलाना भी ईश्वर की भक्ति ही है। जब ट्रेन मुकेरियाँ आती है तो सेवाभावी लोग टंकियों में पानी लेकर रेल की बोगियों के पास पहुंचकर यात्रियों को पानी उपलब्ध कराते हैं।
बीते 1991-92 से लावारिस शवों की अस्थियों को हरिद्वार लाकर गंगा में विसर्जित किया जाता है। वहां पर पूरे विधि-विधान से विसर्जन करवा लावारिस शवों की आत्मा शांति के लिए माँ गंगा से प्रार्थना की जाती है। पिहोवा में भी जाकर लावारिस शवों की आत्मा की शांति के लिए पूजन किया जाता है।
Crematorium – Shamshan Ghat Kumar Painter – Baldev Kumar – also work on construction, repair and renovation in shamshan ghat (Cremation Ground ) and other maintenance work.
मौत के बाद शव को ले जाने के लिए परेशानी नहीं झेलनी होगी। बस एक नंबर डायल करने पर शीघ्र वातानुकूलित शव वाहन आपके पास पहुंचेगा। जिले भर में कहीं भी शव ले जाने के लिए इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। पोस्टमार्टम हाउस से भी शव को ले जाने के लिए यह वाहन मिलेगा।
We provide mortuary box service which guarantee that the body doesn’t contaminate with time. For everyone to assemble in one place it can take longer and on the burial day, we need everyone important to be present. The dead body must be safeguarded for long with the assistance of mortuary box.
“THE PIND DAAN”
1991-92 से लावारिस शवों की मुक्ति हेतु अस्थि विसर्जन पिंडदान कर रहे कुमार पेंटर मुकेरियां । लावारिस शवों का दाह संस्कार कर अस्थियां करते है गंगा में विसर्जित । किसी का निधन हो जाने पर उसके शव का पूर्ण विधि विधान के साथ दाह संस्कार करने का प्रावधान है। प्रत्येक समाज में ऐसा होता है, लेकिन लावारिस मिले शवों का दाह संस्कार कैसे हो। इस समस्या को दूर करने का बीड़ा उठाया है समाजसेवी कुमार पेंटर ने। कुमार पेंटर पूरे जिले में मिलने वाले लावारिस शवों का न केवल दाह संस्कार करते है बल्कि उनका अस्थियों को हरिद्वार ले जाकर गंगा नदी मेंं विसर्जित भी करते है ताकि हिन्दू धर्म की मान्यता के अनुसार मृतक का आत्मा को मोक्ष प्राप्त हो सके। नाम व फोटो के साथ हम अस्थि कलश को कम से कम एक साल तक संभाल कर रखते है। कई बार मृतक के परिजन उसकी तलाश करते आ जाते है तो उन्हें अस्थियां सौंप देते है। अन्यथा अस्थि कलश ज्यादा एकत्र होने पर उन्हें हरिद्वार ले जाते है।
अगर किसी के पास अस्थि विसर्जन की फुर्सत नहीं है, लावारिस शव है या गरीबी के कारण विसर्जन नहीं कर पा रहे हैं, तो मुझे अस्थियां दें – कुमार पेंटर। मैं उन्हें ससम्मान विसर्जित करूंगा। पिछले 1991-1992 साल से लगातार ऐसे लोगों की अस्थियों का विसर्जन कर रहते आ रहे हैं, जो गरीबी में मर जाते हैं या लावारिस होते हैं। इसके लिए वह बाकायदा कर्म-कांड और जरूरी पूजा-पाठ करवाते हैं । कोई भी उनसे संपर्क करके अस्थि विसर्जन के लिए मदद मांग सकता है। लावारिसों को अपना कांधा देकर मां गंगा की गोद में अर्पित करते है। इस पुनीत कार्य में समाज से पूर्ण सहयोग की अपील करते है कुमार पेंटर।
In “TRETA YUG” jatayu the monarch of the bird species had Lord Rama as his adopted son, for the purpose of getting his last rites performed, especially “THE PIND DAAN” This particular episode had a deep emotional effect on me and there and then I decided to dedicate my whole life for the salvation of the orphaned dead.
In this holy task, I was very ably assisted by my wife, Mrs. Poonam. From 1991-92 year I have been performing the last rites of all those who die unclaimed. These UNIDENTIFIED asthies are marked and then hand over to there relatives. We not only cremate their dead bodies, but also go to Haridwar for consigning the ashes into “THE HOLY GANGA JI” this gives me a deep and gratifying mental satisfaction.
Unidentified Asthivisarjan Mukerian
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